फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार गुफ़्तुगू रेडियो के साथ अपने एक इन्टरव्यू में ईरान के अहम पॉलिटिकल रिसर्च सेंटर्स के हेड हसन अब्बास नें कहा कि यू. एन. ए. में 99 प्रतिशत लोगों की एंटी वाल इस्ट्रीट मूव्मेंट पर इकनॉमिक्स और कैपिटलिज़्म दोनों लेहाज़ से टिप्पणी की जा सकती है। एकनॉमिक्स में बताया जाता है कि किस तरह कम और सीमित रिसोर्सेज़ से समाज की ज़्यादा ज़रूरतें पूरी की जाएं।उनका कहना था कि इकनॉमिक्स एक मोडरेट और दरमियानी ज़िन्दगी गुज़ारना सिखाता है लेकिन कैपिटलिज़्म का शब्द ग्रीक (यूनानी) ज़बान से लिया गया है जिसके मानी ज़मीनदारी है। हाँलाकि क़ुरआन के अनुसार जहाँ ज़रूरतें असीमित और नामहदूद हैं वहीं रिसोर्सेज़ की भी कोई हद नहीं और यह बात माडर्न इकनॉमिक्स के सामने एक चैलेंज है।उन्होंने कहा, यू. एस. ए. के लोगों को अपने आर्थिक संकट का अभी पूरी तरह एहसास नहीं हुआ है। जब 99 प्रतिशत लोग सड़कों पर निकल रहे हैं तो माडर्न इकनॉमिक्स कहाँ गया?हसन अब्बासी के अनुसार इस्लामिक रिपब्लिक में अस्ल प्रोडक्शन है जबकि यू. एस. ए. में अस्ल इस्तेमाल या खपत है। इसी कारण अब वहाँ समस्याएं बहुत बढ़ गईं हैं और हालात कंट्रोल से बाहर हैं।इसी के मद्दे नज़र सुप्रीम लीडर नें पिछले साल कहा था कि यह समझना ग़लत है कि यू. एस. ए. और पश्चिम का पूरी दुनिया पर कंट्रोल है और यही लोग दुनिया चला रहे हैं।उन्होंने कहा कि कैपिटालिज़्म अपनी हर शक्ल में लगभग नाकाम हो चुका है। दूसरी तरफ़ लिब्रॉलिज़्म के मानी भी आज़ादी पसंदी नहीं बल्कि आवारगी है और इस हिसाब से भी पश्चिम डेडलाक को पहुँच चुका है।
14 मार्च 2013 - 20:30
समाचार कोड: 400253
ईरान के अहम पॉलिटिकल रिसर्च सेंटर्स के हेड हसन अब्बास नें कहा कि यू. एन. ए. में 99 प्रतिशत लोगों की एंटी वाल इस्ट्रीट मूव्मेंट पर इकनॉमिक्स और कैपिटलिज़्म दोनों लेहाज़ से टिप्पणी की जा सकती है